Ghazal
Ghazal
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दिल के वलवलों का हाल मालूम है
मुझे इश्क़ की हर चाल मालूम है !
आगे रहती थी ख्वाबों में परी कोई
अब नहीं रहती फिलहाल, मालूम है !
जो होश में आने दे तो इश्क़ ही क्या है
हर आशिक़ यहाँ बेहाल, मालूम है !
मेरे जैसी उसे शै की हो तलब क्यों
मैं आदमी हूँ फटेहाल, मालूम है !