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Prashank Chandra

Others

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Prashank Chandra

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Ghazal

Ghazal

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दिल के वलवलों का हाल मालूम है 

मुझे इश्क़ की हर चाल मालूम है !


आगे रहती थी ख्वाबों में परी कोई 

अब नहीं रहती फिलहाल, मालूम है !


जो होश में आने दे तो इश्क़ ही क्या है 

हर आशिक़ यहाँ बेहाल, मालूम है !


मेरे जैसी उसे शै की हो तलब क्यों 

मैं आदमी हूँ फटेहाल, मालूम है ! 


                


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