मैं खडूस सा बंदा था
मैं खडूस सा बंदा था


वो हमेशा मुस्कुराती थी
मैं मुंह लटकाये घुमता था
वो हमेशा मुझे मनाती थी
मैं मुंह फुलाए बैठा था
वो समझदार सि बंदी थी
मैं खडूस सा बंदा था
वो हमेशा गुनगुनाती थी
मैं हमेशा बडबडाता था
वो हमेशा शांत रहती थी
मैं हमेशा गुस्से मे रहते था
वो समझदार सि बंदी थी
मैं खडूस सा बंदा था
वो बड़े गलती माफ कर देती थी
मैं छोटे गलती पर भी चिढ़ जाता था
वो हमेशा मुझे हसाती थी
मैं हमेशा उसे रूलाता था
वो समझदार सि बंदी थी
मैं खडूस सा बंदा था
वो ह
मेशा चेहरा मेरा पढ़ लेती थी
मैं उसका पढ़ नही पाता था
वो cute सी baby थी
मैं Bodybuilder सा बंदा था
वो समझदार सि बंदी थी
मैं खडूस सा बंदा था
वो गुस्सा हो के भी सो जाती थी
मैं रात भर जगा रहता था
वो नाराजगी मैं भी फोन उठाती थी
मैं तो फोन ही तोड़ देता था
वो समझदार सि बंदी थी
मैं खडूस सा बंदा था
वो शाम कि ठंडी हवा थी
मैं दोपहर का आंधी का झोंका था
वो मीठी लस्सी कि चुस्की थी
मैं कड़वा काडा का घूंट था
वो समझदार सी बंदी थी
मैं खडूस सा बंदा था।