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Naveen Singh

Romance

4  

Naveen Singh

Romance

मैं खडूस सा बंदा था

मैं खडूस सा बंदा था

1 min
175


वो हमेशा मुस्कुराती थी

मैं मुंह लटकाये घुमता था

वो हमेशा मुझे मनाती थी

मैं मुंह फुलाए बैठा था

वो समझदार सि बंदी थी 

मैं खडूस सा बंदा था


वो हमेशा गुनगुनाती थी

मैं हमेशा बडबडाता था

वो हमेशा शांत रहती थी 

मैं हमेशा गुस्से मे रहते था

वो समझदार सि बंदी थी 

मैं खडूस सा बंदा था


वो बड़े गलती माफ कर देती थी 

मैं छोटे गलती पर भी चिढ़ जाता था

वो हमेशा मुझे हसाती थी

मैं हमेशा उसे रूलाता था

वो समझदार सि बंदी थी 

मैं खडूस सा बंदा था


वो हमेशा चेहरा मेरा पढ़ लेती थी

मैं उसका पढ़ नही पाता था

वो cute सी baby थी

मैं Bodybuilder सा बंदा था

वो समझदार सि बंदी थी 

मैं खडूस सा बंदा था


वो गुस्सा हो के भी सो जाती थी 

मैं रात भर जगा रहता था

वो नाराजगी मैं भी फोन उठाती थी 

मैं तो फोन ही तोड़ देता था

वो समझदार सि बंदी थी 

मैं खडूस सा बंदा था


वो शाम कि ठंडी हवा थी

मैं दोपहर का आंधी का झोंका था

वो मीठी लस्सी कि चुस्की थी

मैं कड़वा काडा का घूंट था

वो समझदार सी बंदी थी 

मैं खडूस सा बंदा था।


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