फ़ूल
फ़ूल
खिल रही दिल में कली तू
दिल की उल्फ़त हो गयी तू
मै रहूँ तेरे बिन कैसे
बन गया है जिंदगी तू
मै भुला दूँ दिल से कैसे
चाहत मेरी दोस्ती तू
है तुझसे दिल की धड़कन अब
बन गयी है आशिक़ी तू
राह तेरी देखता हूँ
अब नहीं आता गली तू
सांसें जिससे अब चले है
वो मेरे दिल की कली तू
तू हक़ीक़त बन आज़म की
रोज ख़्वाबों में बसी तू!
आज़म नैय्यर

