रात भर जाकर हमने उसको लिखा बन गजल वो तो खुद गुनगुनाती रही रात भर जाकर हमने उसको लिखा बन गजल वो तो खुद गुनगुनाती रही
शहर आया तेरी दोस्ती के लिये बात कर ले मुझसे दो घड़ी के लिये । शहर आया तेरी दोस्ती के लिये बात कर ले मुझसे दो घड़ी के लिये ।
फूल मुरझाया है आज़म प्यार का लब पे उसके प्यार कब इक़रार है। फूल मुरझाया है आज़म प्यार का लब पे उसके प्यार कब इक़रार है।
मै भुला दूँ दिल से कैसे चाहत मेरी दोस्ती तू! मै भुला दूँ दिल से कैसे चाहत मेरी दोस्ती तू!
शाख से जुदा पत्ते की निशानी पूछिये। किसी टूटे हुए पैमाने की जुबानी पूछिये।। शाख से जुदा पत्ते की निशानी पूछिये। किसी टूटे हुए पैमाने की जुबानी पूछिये।।
हर किसी पे ही उल्फ़त लुटाती रही जिंदगी प्यार के गीत गाती रही। हर किसी पे ही उल्फ़त लुटाती रही जिंदगी प्यार के गीत गाती रही।