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Rishabh Tomar

Others

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Rishabh Tomar

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गजल

गजल

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शाम ओ सुबह ख्यालो में आती रही

हो सितारो सी वो झिलमिलाती रही


रात भर जाकर हमने उसको लिखा

बन गजल वो तो खुद गुनगुनाती रही


शर्म आँखों में अधरों पे मुस्कान ले

वो तो हर पल कहर यूँ ही ढाती रही


वो नही है 'परे' मुझसे 'अब' एक पल

बन हवा सांसो संग आती जाती रही


मैं तो जब भी ऋषभ गुलिस्तां गया

तितली फूलों में वो खिलखिलाती रही


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