रत रहती हूँ सुबह और शाम, तितली रानी सब लेते नाम। रत रहती हूँ सुबह और शाम, तितली रानी सब लेते नाम।
मै भुला दूँ दिल से कैसे चाहत मेरी दोस्ती तू! मै भुला दूँ दिल से कैसे चाहत मेरी दोस्ती तू!
क्यों न मंज़र थमा, लो फ़िर आबरू लूटी गई। क्यों न मंज़र थमा, लो फ़िर आबरू लूटी गई।