मैं नन्हीं-सी तितली प्यारी
मैं नन्हीं-सी तितली प्यारी
मैं नन्हीं सी तितली प्यारी,
मैं जग में हूँ सबसे न्यारी।
नटखट,चंचल हूँ इतराती,
हाथ पकड़ न जरा भी आती।
फ़ूल-फ़ूल पर फूल फ़ूल से,
लेकर रस मैं प्यास बुझती।
नीली,पीली, लाल, गुलाबी
सुन्दर हूँ औ प्यारी-प्यारी।
बच्चे जब-जब बागों जाते,
देख मुझे वे झट रुक जाते।
पकड़ने को हैं डगर बढ़ाते,
हाथ बढ़ाते हम उड़ जाते।
बच्चे देख-देख ही रह जाते,
पर कौन मिले हम उड़ जाते।
तन मन से इतराती हैं हम तो
नाच नाचाऊं हर्षाते हम तो।
उड़ती रहूँ मैं ख़ूब गगन में,
विपिन, हाट और भवन में।
रत रहती हूँ सुबह और शाम,
तितली रानी सब लेते नाम।।