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brajesh kumar upadhyay

Abstract Romance

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brajesh kumar upadhyay

Abstract Romance

""आज फिर बहुत याद आ रहे"'

""आज फिर बहुत याद आ रहे"'

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  1. बिछड़ा हुआ आज फिर से याद आ गया कोई,
  2. ज़हन में मेरे हलचल मचा गया कोई,
  3. बिछड़ा हुआ आज फिर से याद आ गया कोई !

  4. यादों के पन्नों का शजर सा कहीं,
  5. बीते हर लमहे का झोंका सा कहीं,
  6. फिर आज हमको नींद से जगा गया कोई,
  7. बिछड़ा हुआ आज फिर से याद आ गया कोई !

  8. करीब थे तो ये सोचा नहीं कभी,
  9. बिछड़ जाएंगे हम, ये माना नहीं कभी,
  10. फिर आज वो टीस मेरे दिल की, जगा गया कोई,
  11. बिछड़ा हुआ आज फिर से याद आ गया कोई !

  12. फैला था अंधेरा जहां, वहां भी प्रकाश फैला गया कोई,
  13. बुझे हुए उम्मीदों में भी ¡"'ज्योति"'¡ जला गया कोई,
  14. ज़हन में मेरे हलचल मचा गया कोई,
  15. बिछड़ा हुआ आज फिर से याद आ गया कोई !

  16. आंखों में उसकी खो जाता था कभी,
  17. हकीकत में नहीं मगर फोटो में ही सही,
  18. जुल्फों की चादर पे सो जाता था कहीं, 
  19. ख्यालों में उसकी खो जाता था कभी,

  20. फिर आज उसकी याद दिला गया कोई,
  21. फिर आज मुझको मुझ से मिला गया कोई ! 
  22. बिछड़ा हुआ आज फिर से याद आ गया कोई,
  23. ज़हन में मेरे हलचल मचा गया कोई
  24. बिछड़ा हुआ आज फिर से याद आ गया कोई....!


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