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Radheshyam sahu 'sham'

Romance

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Radheshyam sahu 'sham'

Romance

मेरी कविता

मेरी कविता

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मेरी कविता,

मेरे हर संकल्पित शब्द,

अंतरिक्ष में गोते लगाते

डूब जाते थे कभी

मेरे ही भीतर।

अब ये बढ़े चले जाते हैं

तुम्हारी ओर...

तुम्हें हंसाने, तुम्हें बहलाने

तुमसे

सलोने संयोग की आस लिए..।

ये (मेरे शब्द)

पुकारते हैं तुम्हें,

चाहते हैं बनना

तुम्हारा संबल, हर दिन हर पल का

ये कहते हैं सुनो,

कोई दुख इतना बड़ा नहीं

जो मुझे भेदकर

तुम तक पहुंचें..।

तुम अपनी हथेलियों पर

स्नेह दीप जलाए रखना,

ताकि पढ़ सको मुझे

रात के अंधेरों में भी..।

जब मैं गुजरूँ,

तुम्हारे हृदय से होकर

तुम्हारी संवेदनाओं को छूते हुए,

मुझे वहीं रोक लेना,

बहता रहूंगा तुम में

रक्त कणिका बन के,

फिर सोख लिया करूँगा

तुम्हारे हर दुख..।



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