फ़िक्र क्या बोल कर दिल को झुठलाता हूँ मान भी जाता है वो बहलाने के बाद।। फ़िक्र क्या बोल कर दिल को झुठलाता हूँ मान भी जाता है वो बहलाने के बाद।।
कोई दुख इतनी बड़ी नहीं जो मुझे भेदकर तुम तक पहुंचें..। कोई दुख इतनी बड़ी नहीं जो मुझे भेदकर तुम तक पहुंचें..।