मुस्कुराहटें तुम्हारी
मुस्कुराहटें तुम्हारी
मुस्कुराहटें तुम्हारी...हैं नज़राना खुदा का,
अफ़साना ये प्यारा.... है थोड़ा जुदा सा ।
रहता था पहले मैं ......खुद से खफा सा ,
खुद में ही खोया..गुमनाम...गुमशुदा सा ।
अंधेरे में थी ..... मेरी नीरस ज़िंदगानी ,
निराशा भरा मन ....था गहरा कुआं सा ।
ये दीदार तेरा..... हुआ मुझको ..है जबसे ,
ये मौसम है बदला, ...हुआ खुशनुमा सा ।
देख कर तुझको अब ,मेरी चलती हैं सांसे,
है होता महसूस .....तू मुझको खुदा सा ।
चाहना है तुझको अब बन्दगी उस रब की,
बसता मेरे मन में तू ..इक प्यारी दुआ सा ।
बीते हर लम्हा ........अब मुहब्बत में तेरी ,
भूला मैं खुद को ....रहूं तुझ पे फ़िदा सा ।
न फिक्र इश्क़ में ..अब के ..जीतूं या हारूँ,
खेल डाला है मैंने..... कुछ ऐसा जुआ सा ।
करदी है मैंने अब.......तेरे नाम ज़िंदगानी ,
बन बैठा है तू अब ...... मेरा रहनुमा सा ।
मुस्कुराहटें तुम्हारी...हैं नज़राना खुदा का,
अफ़साना ये प्यारा.... है थोड़ा जुदा सा ।।

