मेरा दिल
मेरा दिल
मेरा दिल अब हर जज्बात से खाली है
तुझसे मुहब्बत की सजा बखूबी पा ली है।।
तुम्हारी सोच पर ही ठहरा रहता है दिल
जगह कुछ ऐसी तुमने दिल में बना ली है
किसी और दर पे जा कर सर झुकता नहीं
बेइज्जती भी भले कितनी हमने करवा ली है
तुझसे है और तुझी से रहेगी मुहब्बत मुझे,
मैंने अपनी ज़िन्दगी तेरे इर्द गिर्द उलझा ली है
जगह कुछ ऐसी तुमने दिल में बना ली है
तुमसे मुहब्बत की सजा बखूबी पा ली है।

