मेरे दिल की बात
मेरे दिल की बात
मेरे दिल की बात
काश तुम सुनलेते !
मेरी धड़कन की आवाज़
काश तुम महसूस करते !
मेरे एहसास जो थे तुमसे
एक तुम्हीं थे जो छुआ
मेरे दिल के धड़कन को
कैसे मान लुँ मैं कि
कुछ नहीं समझे तुम हमें।
ग़र समझ न पाते ?
तो क्यों मुझसे पहले ?
तुम समझते थे मेरे अनकही बातें
इतना वक्त बिताया ही क्यूँ
मेरे संग मेरे प्यारे दोस्त ?
काश मेरे प्यार को
भी तुम अपनाते
यूँ न जाने देते हमें
आपके जिंदगी से।
अब पुकारते हो मुझे पीछे से
तो क्या वज़ह है
जो मैं रुक जाऊं ?
वो वक्त तुमने जो छीना हमसे
अब न आएगा फ़िर से
तुम लौट जाओ अपने जिंदगी में
मुझे आदत सी हो गई
अब तेरे बगैर जीने की।

