" देवी शक्ति और नारी शक्ति "
" देवी शक्ति और नारी शक्ति "
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पत्थर में पूजते हो देवी शक्ति को
नारी शक्ति को बना दिया पत्थर
और ज़िंदा नारी में ढूंढते हो तो क्या ?
कभी नज़र ख़राब तो कभी नज़रिया..
कभी साफ़ स्वच्छ मन की आंखों से देखो
पवित्र दिल की पवित्र भावना से देखो
दिल की गहराई में झांक के देखो
आप ख़ुद कहीं लज्जित ना हो जाना
तेरे नज़र, नज़रिया और हमारा नज़र, नज़रिया
इनमें ज़मीन आसमां का है अंतर
नारी शक्ति ही देवी शक्ति का अंग है स्वरूप है
तो फिर आज नारी क्यूं है असुरक्षित ??