~• ग़म भरी शायरी •~
~• ग़म भरी शायरी •~
1 min
115
ग़म हमारी आदत ना थी
बस इस दुनिया की लोगों ने
कुछ ज्यादा ही ग़म का तोहफ़ा
भर भर के हमारे हिस्से में डाल दिए
अब तो ये आदत-सी बन गई है
ग़म अगर ना मिले तो लगता है जैसे
कहीं कुछ गलत तो नहीं हो रहा है