~• ग़म भरी शायरी •~
~• ग़म भरी शायरी •~
ग़म हमारी आदत ना थी
बस इस दुनिया की लोगों ने
कुछ ज्यादा ही ग़म का तोहफ़ा
भर भर के हमारे हिस्से में डाल दिए
अब तो ये आदत-सी बन गई है
ग़म अगर ना मिले तो लगता है जैसे
कहीं कुछ गलत तो नहीं हो रहा है
