~ मुरलीधर कान्हा ~
~ मुरलीधर कान्हा ~
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सबके मन, चेतन, चिंतन से जो
सारी दुख पीड़ा को हर ले
सिर्फ़ मधुर चिरंतन प्रेम की धुन जो
बजाए।
ऐसी मुरली कौन भला बजा पाए ?
मुरलीधर कान्हा गिरिधर गोपाल को
पुकारलो आत्मा से
फ़िर जो गंगा बहे आनंद ओर शांति की
मन हृदय में
वो तो अपूर्व है, अनुपम है, अबर्णनिय है !
हरे कृष्ण ! जय श्री राधे कृष्ण !