पत्थर
पत्थर
रख लिए है सब मेरी तरफ़ उछाले हुए पत्थर
दिलों की शक़्ल-ओ-सूरत में ढ़ाले हुए पत्थर
दुश्मन के हाथ में हो तो मुनासिब से लगते है
यहाँ तो दोस्त मिले है जेब में डाले हुए पत्थर
पत्थर को पूज-पूज कर पत्थर से हो गए सब
इंसा में दिख रहे है इंसानों के पाले हुए पत्थर
रहमत ख़ुदा की होगी तो मिल जाएगी मंजिल
चलते-चलते सफ़र पे पाँव के छाले हुए पत्थर
पत्थर के गाँव देखे और पत्थर का शहर देखा
चिमनी के धुएँ से जलकर के काले हुए पत्थर
बेज़ुबान परिंदों पे हमनें कल फेंके कुछ पत्थर
सर पे ही आ गिरे मासूमों पे उछाले हुए पत्थर।
