किसको कह दें मीत यहाँ
किसको कह दें मीत यहाँ
ना कोई अपना ही मिलता है
ना ही अपनत्व ही दिखता है
हम किसको कह दें मीत यहाँ
कोई प्रेम कहाँ चित्त लिखता है..
बातें सबकी बनावटी हैं
नेहता मात्र दिखावटी हैं
धोखाधड़ी की दुनियां ये
रिश्तों में भी खटापटी हैं..
अपनों ने राहों से रोका
लक्ष्य पे चलने से टोका
बदनामी दी अफवाहों से
बाधाओं का देकर झोंका।

