Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

हरि शंकर गोयल

Romance

4  

हरि शंकर गोयल

Romance

पिया मिलन

पिया मिलन

1 min
343


धानी चुनर ओढ़ प्रकृति शिवजी को रिझाने लगी है 

हवा भी बादलों के साथ प्रेम गीत गुनगुनाने लगी है 

सावन में बारिश की बूंदें दिल में प्रीत जगाने लगी है 

पिया मिलन को आतुर गोरी ऐसे में अकुलाने लगी है 

दिल में अनजानी सी कोई चोट उभर आई है 

सावन की काली घटा ने ये कैसी आग लगाई है 

मदमस्त होकर मयूर ने पीहू पीहू की रट लगाई है 

सखि, इस जुदाई से तो नन्ही सी जान पे बन आई है 

काजल की कोर आंखों से नाराज होकर चुप सी है 

होठों पे लाली तो सजी है मगर वह खामोश सी है 

कंगन और चूड़ी ने बजना छनछनाना छोड़ दिया है 

बिंदिया की जगमग बिन साजन के बुझी बुझी सी है 

निढाल सी बांहें आगोश में जाने को बेकरार हो रही हैं 

तरसती निगाहें कब से प्रियतम का इंतजार कर रही हैं 

मिलन के कितने हसीन अरमान सजाए बैठा है ये दिल 

फूलों की सेज कांटों की तरह बदन में नश्तर पिरो रही है!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance