सावन की झड़ी
सावन की झड़ी
सावन की झड़ी से महका चमन है
घुला फिजा में मोहब्बत का रंग है
चारों तरफ हरियाली चमके
नई दुल्हन जैसे यह दमके
घटाओं का ओड़े हुए यह आंचल
थिरकते बहकते हुए रिमझिम बरसे
लुटा रही सिमटा आगोश में प्यार
मचलते अरमानों पर कर रही वार
ऐसा अनुपम सौंदर्य है इसका
कुदरत का है यह अनमोल करिश्मा
लगे उठने टीस जहन में
पिया मिलन की आस जो भड़के
नाच उठे हैं मोर मयूरी
गगन धरा का देख रूप अनुपम
सावन की झड़ी से महका चमन है
घुंला फिजा में मोहब्बत का रंग है।