दिलों के चोर
दिलों के चोर
सहज न दोगे दिल अपना
और हम बिना लिए न माने
आज जो छुपा के रखा है
कभी न निकालो तो जाने
मौका तलाशते हम तो बैठे
तुम दिल को सम्हाले रखना
हाथ से निकला जो एक बार
बन कर रह जाऐ न सपना
लाख करना मिन्नतें और
फिर कोशिश करना हजार
दिल को दोबारा पाने की
तुम्हारी सारी जुगत बेकार
एक बार बस डाल के नजरें
हम प्यार की टीस जगाते हैं
दिल को फिर कर देते गायब
तभी दिलों के चोर कहलाते हैं!