STORYMIRROR

आलोक कौशिक

Romance

3  

आलोक कौशिक

Romance

सावन

सावन

1 min
35

पिपासा तृप्त करने प्यासी धरा की 

बादल प्रेम सुधा बरसाने आया है 

अब तुम भी आ जाओ मेरे जीवन 

प्रेमाग्नि जलाने सावन आया है 


देखकर भू की मनोहर हरियाली 

नभ के हिय में प्रेम उमड़ आया है 

रिमझिम फुहारें पड़ीं तन पर जब 

मन अनुरागी तब अति हर्षाया है 


प्रेम और मिलन का महीना है सावन 

प्रकृति व परमात्मा ने समझाया है 

बनकर मल्हार शीतल कर दो 

कजरी की धुनों ने बड़ा तड़पाया है 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance