दिल की आवाज़
दिल की आवाज़
अब मेरे दिल की आवाज़
उस के दिल तक पहुंचती नहीं।
अब मेरी और उनकी आखें
एक दूसरे को तरसती नहीं ।
एक आह है जो अंदर दबी
वो बाहर निकलती नहीं ।
दूरियाँँ इतनी बढ़ा दी
चहा कर भी कम होती नहीं ।
गम ही गम बसा है जिस्म में
जहा कर भी खुशी टपकती नहीं ।
दो दिलों की आपस की बात,
तिसरे दिल ने दो की रहने दी नहीं ।
ऐसा घर कर गए उस के दस्तक,
कि कुछ भी अपना-सा लगता नहीं ।
कहाँ खत्म करूँ, कहाँ से शुरू करूँ,
इस मोड पर ये भी सूझता नहीं।
लेकिन इस मोड से आगे बढ़,
इस दौर को भूलना नहीं।
कुछ भी हो जाये,
दिल की धड़कन रूकेगी नहीं ।
दिल के इरादे यूँ ही
तो रूकेगें नहीं।