परफेक्ट मैच
परफेक्ट मैच
ये जो छरहरी लड़की के लिए
रोज़ दिन टाल रहे हो शादी के
कुछ समय में फुटबाल हो जानी है,
जिस गोरे रंग के पीछे,जवानी से बूढ़े हो रहे हो
वो चार दिन में फिर ढलना ही है।
ठीक वैसे ही,"ये उजड़ा चमन मेरे किस काम
का" कहने वाली,खुद समय बीत जाने पर
"बंजर भूमि" बन जाती हैं, पता नहीं किस जिद
में ये जिंदगी बिताती हैं?दिन पर दिन,अपनी
उम्र ही बढ़ाती हैं।
ये परफेक्ट मैच के वास्ते दिन ख़ारिज करने वालो
संभल जाओ,अभी भी वक्त है!परफेक्ट मैच के
सिर्फ जूते मिलते हैं,इंसान नहीं।जब सबके उंगलियों
के चिह्न तक अलग होते हैं,तुम व्यक्ति कहां से ढूंढोगे?
बस दिन प्रति दिन सुनहरे दिन से ही रीतोगे।
संग रहकर तो जानवर भी प्यारा लगने लगता है
फिर बात तो दो इंसानों की हो रही है।
सामंजस्य बैठाना आता हो तो जिंदगी स्वर्ग
बन जाती है,परफेक्ट मैच सब बन जाएं,बस
बात,आपके नजरिए की होती है।