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AVINASH KUMAR

Romance Tragedy

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AVINASH KUMAR

Romance Tragedy

कभी सोचा है

कभी सोचा है

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कभी सोचा है कि हम तुम क्यूँ मिले

कभी गौर किया है कि ये क्यूँ हुआ

हम बिछड़ने के लिए तो नहीं मिले

और बिछड़े ऐसे कि फिर कभी न मिले


कभी जिस पर सिर्फ मेरा इख्तियार था

तुम्हारे उस ज़हन में अब कहीं नहीं मैं

तुम्हे मेरा नाम तक पता नहीं अब

मगर देखो कि तुम्हारा नाम ही बस नहीं लिया है मैंने


देखो कि दुनिया जानती है तुमको नाम से मेरे

ये लोगों को भी खबर नहीं है अब तक

कि छुपा हुआ है आधा नाम तुम्हारा मेरे नाम में

हाँ, तुम्हारे वजूद को बनाया है मैंने हाथों से

तुम्हारे दिल को लिखा है उंगलियों से मैंने


कभी कभी यूँ लगता है कि मैं तुम हो जाऊँ

और तुम्हारी तरह भूल जाऊँ खुद को

मगर मैं, मैं तुम नहीं हो सकता

कि भूल जाऊँ खुद को भी, 

कि भूल जाऊँ तुमको भी


शायद ये फासला कभी समझा पाए मुझे कि क्यूँ....

मैं तुमसे बिछड़ कर भी नहीं बिछड़ा...

और तुम... तुम मुझमें रहकर भी मुझसे जुदा हो।


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