नूर एन साहिर ; स्क्रीन-राइटर्स एसोसिएशन मुम्बई के मेम्बर हैं।
तौबा कर अपने गुनाहों को तू कर याद इंसाँ। तौबा कर अपने गुनाहों को तू कर याद इंसाँ।
छोड़ के उसको सब तबाही है, बोलो अब किसकी बादशाही है ? छोड़ के उसको सब तबाही है, बोलो अब किसकी बादशाही है ?
जिस दर्द को छुपा कर रखा था जो इशारे समझ ना सका कभी जमाना जिस दर्द को छुपा कर रखा था जो इशारे समझ ना सका कभी जमाना
बस यही फ़िक्र खा रही है मुझे, आपकी याद आ रही है मुझे। ज़िन्दगी किस क़दर अकेली है, बस यही फ़िक्र खा रही है मुझे, आपकी याद आ रही है मुझे। ज़िन्दगी किस क़दर अकेली...
इस की मिट्टी में हमारा भी लहू शामिल है, पूरा भारत ही तुम्हारा तो नहीं हो सकता। जाने कितने ... इस की मिट्टी में हमारा भी लहू शामिल है, पूरा भारत ही तुम्हारा तो नहीं हो सकता...
वक़्त भी कहीं न कहीं, फिर से पलटता है वक़्त भी कहीं न कहीं, फिर से पलटता है
वहां से कहोगे तो सब को पता चल जाएगा, तुम मुझ से प्यार करते हो, वहां से कहोगे तो सब को पता चल जाएगा, तुम मुझ से प्यार करते हो,
अल्फाज़ की हथकड़ी से, एहसास की बेड़ियाँ डाल कर, अल्फाज़ की हथकड़ी से, एहसास की बेड़ियाँ डाल कर,
कि अब कभी उस से मेरा सामना न हो, मगर मेरी दुआएं क़ुबूल न हुईं, उस से मेरा सामना हो ही गया, म... कि अब कभी उस से मेरा सामना न हो, मगर मेरी दुआएं क़ुबूल न हुईं, उस से मेरा स...
जंगल-जंगल, सेहरा-सेहरा तेरे गीत, नूर का लिक्खा नग़मा-नग़मा तेरे नाम। जंगल-जंगल, सेहरा-सेहरा तेरे गीत, नूर का लिक्खा नग़मा-नग़मा तेरे नाम।