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Noor N Sahir

Abstract

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Noor N Sahir

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बोलो अब किसकी बादशाही है

बोलो अब किसकी बादशाही है

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ख़ुद को राजा समझ रहे थे तुम,

और कहते थे तुम ही आला हो।

कोई कुछ भी नहीं तुम्हारे सिवा,

जैसे हर शख़्स कोई जाला हो।


ये जो हर सिम्त इक तबाही है,

बोलो अब किसकी बादशाही है ?


हाँ मगर भूल हो गयी तुमसे,

या ज़बरदस्ती भूल करदी थी।

तुमको सबकुछ पता था पहले ही,

डगमगाती तुम्हारी कश्ती थी।


ये तो हर शख़्स की गवाही है,

बोलो अब किसकी बादशाही है ?


जब भी लोगों पे ज़ुल्म होता है,

पाप जब हद से ज़्यादा होते हैं।

तब ख़ुदा का अज़ाब आता है,

और फिर लोग ख़ूब रोते हैं।


अब मसीहा तो बस ख़ुदा ही है,

बोलो अब किसकी बादशाही है ?


भूल बैठे थे सब हुक़ुक़ अपने,

ऐसा लगता था अब ख़ुदा ही नहीं।

फिर ख़ुदा ने अज़ाब भेज दिया,

कोई रब के सिवा इलाही नहीं।


हर तरफ़ क़ुदरत-ए-इलाही है,

बोलो अब किसकी बादशाही है ?


जो भी दुनिया में है ख़त्म होगा,

बस ख़ुदा ही रहेगा बाक़ी यहाँ।

सिर्फ़ अल्लाह की हुकूमत है,

बाक़ी हर चीज़ तो है फ़ानी यहाँ।


छोड़ के उसको सब तबाही है,

बोलो अब किसकी बादशाही है ?


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