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Dr. Akshita Aggarwal

Tragedy

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Dr. Akshita Aggarwal

Tragedy

कुछ सवाल ज़िंदगी से

कुछ सवाल ज़िंदगी से

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ए ज़िंदगी क्यों तू एक मुश्किल सवाल है? 

क्यों तू कभी-कभी बन जाती, 

मुश्किलों की मिसाल है? 

बुरा वक्त भी गुजर जाता है पर,

तू क्यों गुजरती नहीं?

ए ज़िंदगी क्यों तू बदलती नहीं?


ए ज़िंदगी तू तो, 

मुश्किलों की एक नाव है। 

जो आंँसुओं के समंदर में भी डूबती नहीं। 

ए ज़िंदगी क्यों तू बदलती नहीं?


आँखों के समंदर में, 

आँखें तो डूब जाती हैं।

यह दिल भी रोता है पर, 

ज़िंदगी की मंज़िल मिलती नहीं।

मंज़िलें तो खो जाती हैं। 

खो जाता है रास्ता....। 

ए ज़िंदगी तू क्यों, 

आँखों से ओझल होती नहीं?

ए ज़िंदगी क्यों तू बदलती नहीं?


ए ज़िंदगी क्या तू कभी, 

किसी एक दिन बदलेगी?

ए ज़िंदगी क्या तुझे, 

कभी अपनी मंज़िल मिलेगी?

ए ज़िंदगी क्या तू कभी बदलेगी?


एक दिन तो ऐसा ज़रूर आएगा। 

जब मंज़िल भी मिलेगी और 

रास्ता भी दिखेगा। 

बस इसी इंतज़ार में............कि, 

ए ज़िंदगी एक दिन तो, 

मेरी कोशिशों से तू ज़रूर बदलेगी।


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