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Dr. Akshita Aggarwal

Abstract

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Dr. Akshita Aggarwal

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सुनहरा इतिहास

सुनहरा इतिहास

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राघव पुत्र कुश ने

हजारों सालों पहले राम मंदिर था बनवाया।

उस वक्त अयोध्या वासियों ने

बहुत से सिया-राम के मंदिरों का सुख था पाया।


समय बिता, अयोध्या वासियों ने

मंदिरों के हालातो को बिगड़ते हुए पाया।

फिर 500 ईसा पूर्व उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने

सभी मंदिरों का जीर्णाद्धार था कराया।


फिर बीते और 2000 साल और फिर

1528 का वह एक मनहूस दिन भी आया।

जब बाबर ने बेरहमी से तुड़वा हमारे मंदिर।

वहांँ एक मस्जिद को था बनवाया।


फिर लगभग 200 वर्ष अयोध्या वासियों ने

अपने नैनों से नीर था बहाया।

तब जाकर 1717 में

जयपुर नरेश जयसिंह द्वितीय के कारण

श्री राम की पूजा के लिए एक चबूतरा था पाया।


अयोध्या वासियों ने भी मन पर पत्थर रख तब

राम लला को तिरपाल के नीचे था बैठाया।

देख प्रभु को आकाश के नीचे

न जाने आंँखों से कितने आंँसुओं को

अयोध्या वासियों ने था बहाया।

रोए सोच यह फूट-फूट कर उस दिन कि, 

क्यों राघव ने कलयुग में

फिर एक बार यह वनवास है पाया।


समय बिता, अयोध्या वासियों ने 1813 में

बाबर का काला चिट्ठा खोल

उसके अत्याचारों के बारे में

पूरी दुनिया को था बताया।

हर सनातनी ने उस दिन

अपनी आंँखों से न जाने

कितने आंँसुओं को था बहाया।


फिर अंग्रेज खोजकर्ताओं ने भी

बाबरी मस्जिद में मिले स्तंभों को

मंदिर से ही लिया गया बताया।

तब 1885 में निर्मोही अखाड़े ने

पहली बार इस मामले को कोर्ट तक पहुंँचाया।


134 साल तक लड़ी लड़ाई।

सनातन धर्मियों ने राम जन्मभूमि के लिए।

तब जाकर 2019 में वह एक शुभ दिन था आया।

जब सुप्रीम कोर्ट ने भी अयोध्या को

श्री राम की ही जन्मभूमि ठहराया।


फिर शुरू हुआ मंदिर का निर्माण कार्य।

न जाने कितनी पीढ़ीयों ने अपने संघर्ष और

बलिदान का फल है पाया और देखते ही देखते

भव्य और दिव्य राम मंदिर तैयार हुआ और 

मोदी जी ने ही अधर्म के विरुद्ध एक संग्राम है जिताया।


22 जनवरी 2024 का दिन यह

सबसे शुभ है आया।

आखिरकार राघव का

कलयुग का वनवास समाप्त होने को आया।


सतयुग में मिले वनवास में तो

राम जी ने 14 सालों में ही

अपनी अयोध्या को वापस था पाया।

कलयुग में मिले वनवास में तो

500 सालों बाद अपनी जन्मभूमि में

राघव ने अपने धाम को पाया।


हर सनातनी के मन में आज

एक अलग आनंद है समाया।

भाग्यशाली है आज वह हर इंसान।

जिसने श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा

अपने सजल नेत्रों से देखने का,

सुनहरे इतिहास को रचते हुए देखने का

लाभ है उठाया। 


महसूस हो रहा है जैसे, दसों दिशाओं ने भी

‘जय श्री राम’ का नारा है लगाया।

लोगों ने घर तो क्या,

अपनी गली-गली को फूलों से है सजाया।

सनातन धर्म की हुई है जीत।

भगवा पूरे देश में है लहराया।


गिनती ही नहीं लोगों ने देश भर में

कितने दियों को आज जलाया।

‘राम दिवाली’ आज मना।

सबने आज इतिहास है रचाया।


नमन है हमारे उन प्रधानमंत्री

(नरेन्द्र भाई दामोदरदास मोदी) जी को,

जिन्होंने न जाने खुद कितना संघर्ष कर

हमारे 500 साल के इंतजार का

परिणाम हमें है दिलवाया और

एक-एक ईंट जोड़कर

राम मंदिर बनाने वाले मजदूरों के

हाथों को नहीं कटवाया।


मोदी जी ही हैं एक कारण,

जिनकी वजह से 22 जनवरी 2024 ने

सुनहरा इतिहास है रचाया।

एक ही साल में अब से

दो-दो दिवाली का सुख है हमने पाया।


अब से हर साल करेंगे 22 जनवरी को दीपदान।

बस कर दो इसे ‘राष्ट्र मंदिर’ ऐलान।

हर मन में यही एक इच्छा है बकाया।

मोदी जी ही हैं एक कारण,

जिनकी वजह से 22 जनवरी 2024 ने

सुनहरा इतिहास है रचाया।


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