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Dr. Akshita Aggarwal

Tragedy Inspirational Others

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Dr. Akshita Aggarwal

Tragedy Inspirational Others

वैलेंटाइन डे या वायलेंटाइन डे

वैलेंटाइन डे या वायलेंटाइन डे

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याद है, वह काला दिवस 

चौदह फ़रवरी टू जीरो वन नाइन।

मना रहे थे जब लोग वेलेंटाइन। 

जम्मू-कश्मीर की हसीन वादियों के बीच 

पुलवामा

कर दिया गया था जिसमें, 

हिंसक हंगामा। 

प्यार का था वह दिन वैलेंटाइन। 

एक आतंकी ने बना दिया था, 

वह दिन वायलेंटाइन।


22 वर्षीय युवा आतंकी आदिल 

बन गया था, 

वीर जवानों का क़ातिल।


देश भर में हो गया था अंधकार। 

घर-घर में मच गया था हाहाकार। 

वीर शहीदों की देश भर में, 

हो रही थी जय-जयकार।


आज भी याद है वह हर क्षण।

भूला ही कहाँ है देश, 

आज तक वो गम। 

आज भी हो जाती हैं, 

आँखें यह नम। 

उन सभी वीरों को है शत-शत नमन। 

शत-शत नमन।


देश को मिलता ही नहीं यह गम। 

जो, 

उस युवक के हाथों में थमाई जाती, 

बम के बजाय कलम। 

बम के बजाय कलम।


उन सभी वीर शहीदों की तो, 

माताओं को भी है नमन। 

जिनकी कोख से लिया था, 

ऐसे वीरों ने जनम। 

ऐसे वीरों ने जनम।


वीर शहीदों की मौत तो हुई, 

साँसों के थम जाने से। 

पर वह आतंकी भी कहांँ जिंदा थे, 

संवेदनाओं के मर जाने से। 

संवेदनाओं के मर जाने से।


आज जब मनाने जाओ वैलेंटाइन 

याद कर लेना वह दिन 

जो बन गया था वायलेंटाइन। 

एक बार ज़रूर करना 

उन वीर शहीदों को नमन। 

जो, तिरंगे की हिफाज़त के लिए 

ओढ़ लेते हैं, 

अपने तिरंगे का ही कफन। 

तिरंगे का ही कफन। 


पुलवामा हमले में शहीद हुए, 

सभी वीर जवानों को है। 

हमारा शत-शत नमन। 

शत-शत नमन। 


जय-हिंद

जय-भारत



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