चार लोग
चार लोग
बोलने,चलने,बैठने हर बात पर टोक दिया
लोगो ने स्त्री की हर बात पर ध्यान दिया
दिया ध्यान कहीं कोई स्त्री आगे न बढ़ जाए
हटा के घूंघट चेहरे से लोगों को आईना न दिखा जाए
बोल न दे वो सच कोई कि लोगों की कलई उतर जा
इसीलिए आवाज को उसकी अपने गुस्से से दबा दिया
उखाड़ कर फेंक न दे कहीं वो अपनी
एकता की शक्ति से पुरुषों की सत्ता को,
इसीलिये बड़ी चालाकी से चार लोगों में
एक कांधा स्त्री का मिलालिया।
सबसे ज्यादा अब ये इसी कांधे का प्रयोग करते हैं
स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है ये कहकर खुश होते है।