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मोहनजीत कुकरेजा (eMKay)

Romance Tragedy

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मोहनजीत कुकरेजा (eMKay)

Romance Tragedy

कोशिश

कोशिश

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मुझे लिखे तुम्हारे ख़त

जला दिए हैं मैंने आज,

तुम्हारी दी हुई डायरी पर

कविता नहीं करता अब,

कलम जो दी थी तुमने

उससे लिखा नहीं करता,

मेरे जन्मदिन की भेंट-

चाँदी का प्यारा-सा छल्ला

किसी और को दे चूका हूँ!

 

पर क्या जला सकता हूँ

अपने इस दिल को?

या इस्तेमाल रोक सकता हूँ

अपने दिमाग़ का मैं?

दिलो-दिमाग़ से तो आख़िर

जुड़ी ही रहेंगीं यादें तुम्हारी,

और तुम्हारा दिया हुआ ग़म;

बहुमूल्य निधि है, छल्ला नहीं,

यह तो पास रहेगा मेरे ही!!


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