मोहनजीत कुकरेजा (eMKay)

Romance

4.0  

मोहनजीत कुकरेजा (eMKay)

Romance

आमंत्रण

आमंत्रण

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मेघाछन्न व्योम से, प्रिये

बरस रहा हो नीर,

हृदय की भीगी मिट्टी

महक रही हो सौंधी सी,

प्रेम की नव-कोंपलें

फूटने को हों तत्पर 

मन के समस्त भावों का

मुख पे शोभायमान हो

इन्द्रधनुष मनोहर एक,

स्नेहिल सा संगीत कोई

स्वर-लहरियां मधुर बन

प्रतिध्वनित लगे होने 

भावनाओं के अतिरेक से

चाहत भी हो उठी अधीर,

होता हो सब अनायास ही

ऐसे में तुम चली आना…



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