मोहनजीत कुकरेजा (eMKay)

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4.5  

मोहनजीत कुकरेजा (eMKay)

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नववर्ष...

नववर्ष...

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कोई ख़ुशी हो न हो, ख़ुश होकर दिखाते सभी हैं

दिलों में उम्मीद, आँखों में ख़्वाब सजाते सभी हैं !

 


एक चमक सी दिखती है हर किसी के चेहरे पर


मौज-मस्ती, नाच-गाना, पीते-पिलाते सभी हैं !

 


कुछ नया शुरू, कुछ बंद, करने की बात होती है


फिर कुछ दिनों के लिए वो वादे निभाते सभी हैं !

 


नया बरस, नया जोश, नया ही इश्क़ और जुनून


एक अच्छे दौर की राह में आँखें बिछाते सभी हैं !

 


साल-दर-साल ये सिलसिला यूँ ही चलता रहा है


कुछ तो ज़रूर है नए साल में, जो मनाते सभी हैं !


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