किराए का प्यार
किराए का प्यार
जमाने के जख्म से चोटिल,
हताश, अनजान मुसाफिरों को,
खुशी, सरेआम बाँटती हूँ मैं|
मलहमे इश्क से, जख्मी दिलों को,
हर रोज सहलाती हूँ मैं|
ये सच है, यहाँ किराए पर,
अपना प्यार बाँटती हूँ मैं||
इन गलियों में,
अपने दर्द को दफना,
मुस्कान बाँटती हूँ मैं|
ये सच है, यहाँ किराए पर,
अपना प्यार बाँटती हूँ मैं||
आँखों में अपनी दर्द छिपा,
रोज सजती, सँवरती हूँ मैं|
आबरू अपनी, बेजान पड़ी,
मजबूर हो, परोसती हूँ मैं|
ये सच है, यहाँ किराए पर,
अपना प्यार बाँटती हूँ मैं||