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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

दोस्त बना दुश्मन

दोस्त बना दुश्मन

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आज दोस्त ही बने दुश्मन है

जिन पे मरते थे कभी हम है


ऐसी आई दिखावे की आंधी

टूटी दोस्ती की जंजीर हमारी


आज हुए उनके दुश्मन हम है

मानते थे कभी हमे धड़कन है


ऐसी निभाई थी दोस्ती उसने,

पास आ के भूली तस्वीर उसने,


आज हुए संदेश देखना बंद है

आज इतने हुए पराये हम है


आईने के सामने होकर भी,

कोसो दूर हुए अक्स हम है


मित्र एकदिन भ्रम टूटेगा तेरा,

दिखावे का चश्मा फूटेगा तेरा,


तब चाहकर भी रो न पायेगा,

तब याद आएंगे बहुत हम है


फिर भी हम दोस्ती निभाएंगे

क्योंकि तेरे सच्चे मित्र हम है


लाख शूल दे,तू चाहे मित्र मुझे,

देंगे खुश्बु बनकर गुलाब हम है


जितना फंसेगा दिखावे-कीच में,

उतना ही साफ करेंगे तुझे हम है


व्यर्थ-दिखावे का तोडेंगे करम है

मेरी दोस्ती,मित्र आबेझमझम है


तू भूल जाये चाहे मुझे,पर में नही,

अंतिम सांस तक देंगे साथ हम है


आदर्श मित्र कर्ण न सही दोस्त,

पर उसके आदर्श रखते हम है


तुझे लाएंगे एकदिन सही राह पे,

हम न रखते दोस्ती में स्वार्थ-धर्म है


खिलेंगे मित्र मुरझाए फूल फिर से,

हमारी दोस्ती में सच का शबनम है।


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