धर्म का खून
धर्म का खून
ला कुल्हाड़ी धर्म का ही खून कर दूँ।
इंसान को इंसान जिसने ना रहने दिया
हिन्दू, मुसलमान, सिख , ईसाई
एक दूसरे से जुदा किया
ला कुल्हाड़ी धर्म का ही खून कर दूँ।
धर्म बनाया इंसा ने
इस धर्म ने इंसान को इंसान ना रहने दिया
ला कुल्हाड़ी धर्म ही का खून कर दूँ।
कितने मंदिर टूटे, कितने मस्जिद टूट गये
भगवान और खुदा फिर भी देखने को ना हासिल हुआ
ला कुल्हाड़ी धर्म का ही खून कर दूँ।
मैं बेहतर, मैं बेहतर की लड़ाई में
कोई ना बेहतर बचा
हाथ सबके सने खून से, रंग जिनका एक सा था
ला कुल्हाड़ी धर्म का ही खून कर दूँ।