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Sneha Srivastava

Tragedy

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Sneha Srivastava

Tragedy

ईर्ष्या की आग

ईर्ष्या की आग

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गुनाह कुछ नहीं था अपना,

बस इतना कि हम मेहनत के आदी थे,

सीधे-साधे सिद्धांतवादी थे,

ईर्ष्या की आग में,

जल रहे हैं कुछ लोग हमसे।


मुफ्त में मिला कुछ ,

रास नहीं आया कभी,

स्वाभिमान की रोटी

और स्वाभिमान की दौलत

ही भाती हमें,

निठल्लुओ कि अब,

सुलगी सी है हमसे,

ईर्ष्या की आग में,

जल रहे हैं कुछ लोग हमसे|


भ्रष्टाचार की इस दुनिया में,

ईमानदारी की ठानी है हमने,

कुछ हम जैसे भी बाकी है,

कुछ की गाड़ी भ्रष्टाचार वाली है,

ईर्ष्या की आग में,

जल रहे हैं कुछ लोग हमसे|


ऐसे वैसो की दाल कहां गलती है हमसे,

मेहनत में हमारा नहीं कोई सानी है,

मेहनत और प्रतिभा के दम पर,

हमने सदा जीतने की ठानी है|

इन लोगों को तो,

बस आती बेईमानी है,

ईर्ष्या कीआग में,

जल रहे हैं कुछ लोग हमसे|


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