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Sneha Srivastava

Romance

4  

Sneha Srivastava

Romance

"मुझे मालूम था"

"मुझे मालूम था"

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तुम्हें जो कहना था,

मुझे मालूम था।

मुझे मालूम था कि,

तुम्हें इंतजार है।

वह रुक जाना रास्ते पर,

मुझे एक झलक देखने को,

मुझे मालूम था।


एक अजीब सा अनकहा अनसुना,

इकरार था अपने बीच।

कैसे कह दूं कि,

दिल तुमसे अनजान था।

हां मुझे मालूम है,

कि तुम्हें भी मालूम था।


केमिस्ट्री की क्लासेस में,

अपनी केमिस्ट्री भी बन रही थी।

तुम्हारी नजरों में,

मेरे लिए जो अभिमान था।

वह लड़का जो 

क्लास में सबसे विद्वान था।

तुम बिन बोले बिन जताए,

साथ निभा रहे थे।

मैं जानती हूं,

तुम्हारा प्रेम कितना महान था।

तुम्हें जो कहना था,

मुझे मालूम था।


एक बारीक सी चादर थी,

अपने बीच शराफत की,

सच कहूं वह लड़का मेरी जान था।

साथ तुम्हारा बिना शर्त,

मेरे साथ था,

गर्व मुझे तुम पर,

हर बार था,

जहां ठहरती थी,

मेरी नजर जाकर,

बस तू ही वह पहला

और आखरी इंसान था।

तुम्हें जो कहना था,

मुझे मालूम था।


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