और कितने आफताब?
और कितने आफताब?
लिव इन रिलेशन में,
घुट घुट कर सांस ले रही,
एक लड़की की मोहब्बत थी
वह रोज पिटती थी मोहब्बत के नाम पर,
न जाने औरतों की आंख कब खुलेगी?
और न जाने कितने आफताब?
हाथों में तेजधार चाकू है,
जुबान है अंग्रेजों की,
अंग्रेजी में चाहे जितनी गिटपिट कर लो,
पर तुम्हारे दिमाग की अशिक्षा,
किसी जुबान से नहीं मिटेगी|
तुम हो जानवर और जानवर ही रहोगे,
गाली और गांजे में तुम्हारी जिंदगी कटेगी|
और न जाने कितने आफताब?
लाश के टुकड़े उसने किए थे 35,
हर टुकड़े में मोहब्बत के खून थे|
जीते जी तो जिस्म को नोचा ही,
मारने के बाद भी फिर जिस्म को काटा|
औरत सिर्फ जिस्म है इनके लिए,
किसी एक जिस्म से इनकी हवस नहीं मिटेगी|
और न जाने कितनी श्रद्धा अपनी ही मोहब्बत के हाथों मरेगी और कटेगी|
और न जाने कितने आफताब?
उस खुदा से दुआ है,
ना बनाना ऐसे बंदे जो तुझे बदनाम कर दे,
ना यह किसी धर्म के,
ना कोई धर्म इनका है,
अधर्मी का धर्म भला कब से होने लगा
कलाम साहब जैसे पाक भी इसी कौम के थे,
और यह नापाक और दरिंदा भी इसी कौम का है,
मैं नहीं मानती कि
धर्म कोई भी बुरा है
और न जाने कितने आफताब?
नाम चाहे भले आफताब रख लो,
पर बन न सकोगे 'आफताब',
ऐसी सजा दो इन दरिंदों को,
कि जन्मो तक इस धरती पर ,
पैदा ना हो कोई आफताब|
