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Sneha Srivastava

Tragedy

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Sneha Srivastava

Tragedy

यह कैसा इंसान?

यह कैसा इंसान?

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काटा है तुमने पेड़ों और जीवो को,

अपने स्वार्थ की खातिर,

 प्रकृति है परेशान बनाकर इंसान,

 यह कैसा इंसान?


 बनाई है तुमने तोप और मिसाइल,

करने को छलनी मानवता को,

जीतना है तुमको विश्व,

चीरकर प्रकृति का सीना,

प्रकृति है परेशान बनाकर इंसान,

यह कैसा इंसान ?


बना रहे हो तुम जैविक हथियार भी,

कोरोना वायरस से कांप उठा है संपूर्ण विश्व,

 मचाकर तबाही चारों तरफ,

तुमको अब शांतिपूर्ण जीवन है जीना,

प्रकृति है परेशान बनाकर इंसान,

 यह कैसा इंसान?


 ओजोन परत को तो तुमने,

 न जाने कितने वर्षों तक छलनी किया,

 अब बढ़ रहा तापमान,

 पिघल रहे ग्लेशियर,

 खतरे में है संपूर्ण पृथ्वी जगत,

जानवर से भी ज्यादा जानवर,

 बेकार है तेरा बुद्धि होते हुए भी,

बुद्धिहीन बन जीना,

प्रकृति है परेशान बनाकर इंसान,

 यह कैसा इंसान?


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