नशा
नशा
नशे की बात न करिये दोस्तों,
नशे के हैं इस दुनिया में रंग हज़ार!
भिन्न-भिन्न हैं नशे के रूप और प्रकार
कुछ तो हैं आज़माइश के क़ाबिल,
कुछ दर्शाते हैं केवल मानसिक विकार!!
किसी को है मुहब्बत का गुलाबी नशा,
जो नैनों के मय के प्याले देख परवान चढ़ता है!
कहीं है कामयाबी का चढ़ता नशा,
जो गर्व के दर्प में चूर हो बिखरता है!
कहीं किसी को है दौलत का नशा,
जो ग़रीब की ख़ुशियों की क़ीमत पर पलता है!
तो कहीं है किसी को सत्ता का नशा,
जो मुँह लगे ख़ून-सा कभी छूटता नहीं है!
कहीं है ख़ूबसूरती का अंधा ग़ुरूर
कहीं है मदिरा का चढ़ता सुरूर,
जाने कितनी ज़िन्दगियों से खेलता है!
पहना कर पाँवों में नशे की बेड़ियाँ,
लोगों के सपनों को सदा तोड़ता है!
हज़ारों औरतों की सूनी कर कलाइयाँ,
बेरहम बन लाता है बस बरबादियाँ!!
चारों ओर फैला नशे का काला कारोबार
दिन दूना रात चौगुना बढ़ता ये व्यापार,
हर कोई है किसी न किसी नशे में चूर!
इसकी बेड़ियों में जकड़ा हालात से मजबूर!
नशा कोई भी हो अक्सर बनता पतन का कारण है,
इससे सजग और दूर रहना ही एकमात्र निवारण है!!