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Anshu Shri Saxena

Inspirational

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Anshu Shri Saxena

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हुंकार

हुंकार

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उठो नारी ! अब भरो हुंकार !

नहीं काम आयेगी अब चीत्कार !

बहुत हुआ कोमलांगी बन, 

अंतहीन पीड़ा और ज़ुल्म सहना !


बहुत हुआ वामांगी बन, 

पुरुष की परछाईं बनना !

अब वक़्त है कि भूल जाओ

सहनशीलता है तुम्हारा गहना !


समय है चंडी बन सबक़ सिखाने का

अधिकार और सम्मान दोबारा पाने का

हैवानियत से डरना तुम्हारा काम नहीं

घुट घुट कर जीना अब तुम्हें स्वीकार नहीं !


पुरुषों की कुत्सित मानसिकता को हराना होगा

समाज की तिरछी नज़रों को झुकाना होगा !

तुम नारी हो, सबला हो, स्वयंसिद्धा हो...


जो तुम उठ खड़ी हुईं तो अवश्य ही 

तुम्हारे क़दमों में सारा ज़माना होगा !


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