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Anshu Shri Saxena

Others

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Anshu Shri Saxena

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होली रंगारंग

होली रंगारंग

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रंगबिरंगे फूलों से सज गईं क्यारियाँ...

पराग कण चुनने को आतुर तितलियाँ !

महकने लगी है फूलों की गमक चहुँओर ,

कोयल की कूक भी जैसे पुकारे चितचोर !


मंजरी से भर गईं अमवा की डालियाँ,

मदमस्त हो, नृत्य करने लगीं कलियाँ !

सुगंधित हो चली है शीतल मंद बयार,

बसंत ऋतु का सब पर चढ़ा ख़ुमार !


मस्त फागुन का चढ़ने लगा रंग,

गूँजने लगे फाग, जैसे बजे जलतरंग ! 

बसन्ती से हुए मन, भरे उल्लास और उमंग,

भूलकर सारे कष्ट, हुए सब मस्त मलंग !! 


उड़ने लगे अबीर गुलाल, घुटने लगी भंग

पवन हुई रंगीन, जो घुलेमिले सतरंगी रंग 

लगाएँ इक दूजे पर प्रेम व भाईचारे का रंग

आइये हम सब मिलकर मनाएँ होली रंगारंग !




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