सैनिक की जय
सैनिक की जय
तुम्हारे हाथों में है देश की शान,
तुमसे ही है वतन की आन बान!
धारण करते ही सैनिक की वर्दी..
बनते तुम भारत के सपूत महान!
माँ के आँचल की ममता हो तुम,
बहनों की राखियों में बँधते हो तुम,
पत्नी के सिंदूर में चमकते हो तुम,
पिता के बुढ़ापे की लाठी हो तुम!
सारे नाते रिश्ते पीछे छूट जाते
जब मातृभूमि के फ़र्ज़ पुकारते
तुम हँसकर सारे कर्तव्य निभाते,
दिल में दर्द रख भी मुस्कुराते !!
दंगे हों या फिर प्राकृतिक आपदाएँ,
सारी मुश्किलों को हल करती सेनाएँ !
तुम हो तत्पर तो ही सुरक्षित हैं हम
तुम हो कर्मवीर तभी स्वतंत्र हैं हम !!
देश के दुश्मनों के तुम छक्के छुड़ाते,
सिर पर कफ़न बाँध उन्हें ललकारते
फिर शान से हमारा तिरंगा लहराते
गर्व से हमारा सीना चौड़ा कर आते !
पर जब तुम तिरंगे में लिपट कर आते,
मिट्टी का क़र्ज़ उतार शहीद कहलाते
अपने बलिदान से हमें क़र्ज़दार बनाते
तुम्हारी राहों में हम श्रद्धा सुमन चढ़ाते !
सैनिक, तुम मातृभूमि का हो अभिमान
सिखाते हमको, कि देश पर हों क़ुर्बान!
तुम्हारे उपकारों का ऋण नहीं चुका
सकते हैं ,
अत: ‘सैनिक की जय’ का नारा बुलन्द
करते हैं !