चाय
चाय
अदरक वाली गरमागरम चाय
इलायची की ख़ुशबू वाली चाय
या नींबू वाली मसालेदार चाय
सबके हैं स्वाद अलग
रूप और रंग भी अलग
जब यह चाय प्याली में ढल
घूँट घूँट बन कर ताजगी
रोज़ सुबह सवेरे उतरती है
दूर कर मन की सारी थकन
कर देती है उल्लसित मन
कुछ वैसे ही,
जैसे क़तरा क़तरा जिन्दगी
मिलती है रोज़ जीने के लिए
लेकर नई चुनौतियाँ
नई आशाएँ नई निराशाएँ
कभी ख़ुशियों भरी चंद घड़ियाँ
तो कभी दुख में डूबी लड़ियाँ
जैसे होती है मिट्टी की
सोंधी ख़ुशबू से भरी
कुल्हड़ वाली चाय
वैसी ही ज़िन्दगी भी
होती है कुछ भीनी भीनी सी
रच बस जाती है
मन के भीतर तक
जैसे चाय उबल कर कड़क बनती है
वैसे ही जिन्दगी भी कभी कभी
उबलती है मेरे अंदर भी
तल्खी की ज्वाला बन कर
पर अक्सर चीनी की मिठास
जैसी ये ज़िन्दगी भी
घुलती जाती है मन में
देती है मेरे दिल को सुकून
तृप्त कर जाती है मेरी रूह तक
ऐ जिन्दगी ! बस ऐसे ही
घूँट घूँट मेरे भीतर उतरती रहना
माटी के कुल्हड़ की चाय सी
अपनी सोंधी ख़ुशबू मुझमें भरती रहना
ताकि मैं तुम्हें पी सकूँ भरपूर
और बस, जी भी सकूँ भरपूर
तो ज़िन्दगी हो न तुम चाय सी ?
घूँट घूँट रुह तक उतरती
एक ख़ुशनुमा एहसास सी ?