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Amit Kumar

Abstract Tragedy Inspirational

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Amit Kumar

Abstract Tragedy Inspirational

क़यामत

क़यामत

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यूँ भी गिर जाऊंगा

नज़रों से मैं तो

एक बार ज़रा मुझसे

नज़रें तो मिला ले


क़यामत से क्यों 

क़यामत है आई

इस बात पर तु भी 

ज़रा मुस्कुरा ले


जो आंखों के रास्तें

बदहवास कर रहा है 

मेरे होशोहवास को

उस शख़्स से तू भी

ज़रा नज़र तो मिला ले


आज नहीं तो कल

तू भी मतलबपरस्त होगा

तू चाहे तो ज़िंदगी की

मुझसे हर शर्त लगा ले।


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