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Amit Kumar

Romance

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Amit Kumar

Romance

मस्तमौला

मस्तमौला

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उन्माद की बारीकियों से

वो भी रूबरू हो रहे हैं

जिन्हें ख़बर ही नही

मौसिक़ी के तरन्नुम की

यदा-कदा बहक जाने के शौकीन

कह रहे हैं हम तो

मस्तमौला हुए है

बहारों के आशिक़ नज़र आ रहे वो

पतझर के बरसने से जो

खुश हो रहे थे

मिट्टी के मकानों को

घरोंदा है कहते 

जहाँ लोग बसते है

लेकिन रूहें नदारद है

अपने ही जिस्मों से.....

       


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