नया है ज्वालामुखी-सा धधकता आंतरिक अपेक्षाओं का शोला... नया है ज्वालामुखी-सा धधकता आंतरिक अपेक्षाओं का शोला...
बताइये साहिब ! अब कौन किसका ? तलबगार है यहां। बताइये साहिब ! अब कौन किसका ? तलबगार है यहां।
प्रेम भोग नहीं पूजा का दूजा नाम है उसके लिए।। प्रेम भोग नहीं पूजा का दूजा नाम है उसके लिए।।
आंखों के इशारे पर होठों में खिला आमंत्रण लेकर। आंखों के इशारे पर होठों में खिला आमंत्रण लेकर।
उन सपनों को टूटते देखना अच्छी बात नहीं उन सपनों को टूटते देखना अच्छी बात नहीं
जल तल है अब- शांत, मौन! जल तल है अब- शांत, मौन!