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Bhavna Thaker

Drama

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Bhavna Thaker

Drama

प्रोम्प्ट ७ (ज्वालामुखी)

प्रोम्प्ट ७ (ज्वालामुखी)

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आदिमानव-सी पड़ी मन की सुषुप्त

अनुभूतियों की तरलता पे प्रस्फुटित होते हैं 

अटपटे से ख़्याल नव सर्जन की आस लिए!


उतरता है एक साया जैसे किसी अज्ञात

उपग्रह पे रखता है कोई पहला कदम, 

दिल के भूखंड में विभाजित होते हैं नये पुराने उन्माद!


भीतर बहुत ही भीतर घमासान में

पुराने खड़े होते हैं लाठी-मशाल की धौंस पर, 

और टकराते हैं नये उन्माद की

कदमपोशी को रोकने!


नया है ज्वालामुखी-सा धधकता

आंतरिक अपेक्षाओं का शोला,

कदम जमाए खड़ा है पुरानों को तोड़ता!


मशाल की रौशनी हौले-हौले मंद होते जैसे

खिसक रहें हों महाद्वीप धरातल होते,

द्वंद्व की क्षितिज पर खड़े नये पुराने खयालात की

अवधारणाएँ ढूँढती हैं,

तोड़ अपने तरीके से निकालती!


देखते हैं मन की सतह पर

जीत का परचम कौन रचता है,

अगाध आसमान-सी मन के उपग्रह की

पृष्ठभूमि पर प्राणवायु को पंख में लिए

नये का उद्गम होता है,

या पुरानों की हस्ती कायम करती है

अपना मुकाम, लाठी मशाल की धौंस जमाए॥


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